जो लौटकर घर न आए

कई दिनों से पश्चिमी राजस्थान में ज़ोरदार बरसात का दौर जारी था, जनजीवन अस्त व्यस्त था…लगातार हो रही बारिश के कारण सड़कों पर पानी भरा हुआ था… जोधपुर, बाड़मेर व आस पास के इलाकों से भारी बारिश की तस्वीरों से ट्विटर भरा पड़ा था…हालांकि, 28 जुलाई 2022 दिन गुरुवार को बारिश कम हुई… हालात सामान्य होते दिखे….मगर रात होते होते एक दुःखद खबर आई…भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमान मिग-21 बायसन बाड़मेर के भीमड़ा गांव के पास दुर्घटना का शिकार हो गया… हादसे में सेना ने अपने दो जांबाज़ पायलट खो दिये…स्क्वाडन लीडर मोहित राणा और फ़्लाइट लेफ्टिनेंट अदिवत्य बल ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया…जानकारी के अनुसार,  इस विमान ने वायुसेना के पश्चिमी कमांड के उत्तरलाई एयरबेस से कुछ ही मिनटों पहले ही उड़ान भरी थी…कई सौ किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ़्तार से हवा में उड़ रहे इस में अचानक आग लग जाती है…और देखते ही देखते आग बढ़ने लगती है… टर्बोजेट सिंगल इंजन मिग-21 को उड़ाने वाले दोनों पायलट फाइटर प्लेन को रिहायशी इलाकों से दूर ले जाते हैं और रेत के टीलों के पास यह क्रैश हो जाता है…यह सब इतनी तेज़ी से होता है कि दोनों पायलट खुद को विमान से निकाल पाने में असफ़ल रहते हैं…घटना की सूचना पुलिस-प्रशासन को मिलते ही उनकी टीमें मौके पर पहुंच जाती हैं…राजस्थान से लेकर दिल्ली तक फ़ोनों की घंटियां बजने लगती हैं… वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों को हादसे सूचना मिलती है…लोगों की शोक संवेदना व्यक्त करने का सिलसिला शुरू हो जाता है…देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह वायुसेना प्रमुख वीके सक्सेना से फ़ोन पर बात करते हैं…वर्तमान स्थिति के बारे में पूछा जाता है… और कुछ ही देर बाद हादसे की पुष्टि करते हुए वायुसेना जांच के आदेश दे देती है…2018 में वायुसेना में बतौर पायलट कमिशन्सड हुए 26-वर्षीय अदिवत्य बल का बचपन से लड़ाकू विमान उड़ाने का सपना था… जिसे उन्होंने कड़ी मेहनत व लग्न से पूरा कर दिखाया… बल जम्मू के रहने वाले थे और उन्होंने सैनिक स्कूल से अपनी पढ़ाई की थी… वहीं, हादसे के एक हफ्ते पिछले स्क्वाडन लीडर मोहित राणा ने अपना जन्मदिन अपने परिवार व दोस्तों के साथ मनाया था…और कुछ ही दिन पहले वो छुट्टी काट कर वापस लौटे थे…राणा पिछले कई सालों से इस विमान को उड़ा रहे थे और वो  वेल क्वालिफाइड पायलट थे…वहीं, दूसरी तरफ़ फ़्लाइट लेफ्टिनेंट अदिवत्य बल अपने सपनों को ऊंची उड़ान देने के लिए निकले थे… मगर क्या दोनों सोचा होगा कि वो शायद कभी वापस लौट कर नहीं आ पाएंगे…रेगुलर शॉर्टी की तरह गुरुवार को भी दोनों ट्रेनर एयरक्राफ्ट लेकर निकले थे और एक सफ़ल शॉर्टी के बाद वापस लौटने वाले थे… मगर नियति को कुछ और ही मंजूर था…इस शहादत के बाद दोनों पायलटों के परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है…दोस्त, सहकर्मी, अधिकारी, जवान सब स्तब्ध हैं…मायूस हैं चूंकि उन्होंने अपने क़रीबियों को खोया है…और इसका दुःख महज़ यही लोग जानते हैं…क्योंकि इनके अलावा और किसी को शायद ही फ़र्क पड़ता हो…हालांकि, यह कोई पहला हादसा नहीं था जिसमें हमें वो क्षति हुई जिसकी चाह कर भी भरपायी नहीं की जा सकती…लेकिन इस बीच एक सबसे बड़ा सवाल है कि 1960 के दशक में खरीदे गए मिग21 को हमारी वायुसेना अपने बेड़े से क्यों नहीं हटाती?…जिस जहाज़ को उड़ता ताबूत और विडो मेकर जैसे शब्दों से जाना जा रहा है उसे हम रिटायर क्यों नहीं कर देते… रिपोर्ट्स के मुताबिक, अबतक यह लड़ाकू विमान क़रीब 200 पायलटों की जान ले चुका है…जनता, नेता, पक्ष-विपक्ष हर कोई इसके खिलाफ हैं मगर इसे हटाने को लेकर अभी भी हमें 2025 तक का इंतज़ार करना पड़ेगा…देश में हज़ारों करोड़ के घोटाले हो जाते हैं…धड़ल्ले से लोग हमारा रूपया लेकर विदेश भाग जाते हैं और हम महज़ चंद पार्टियों के पक्षधर चैनलों और अखबारों पर सरकार की तारीफ़े पढ़ते रह जाते हैं…मगर किसी की जान की कीमत न समझते हुए…अन्य विमानों को लाने व बनाने पर ज़ोर नहीं दिया जाता है… बताते चलें कि भारत एक ऐसा देश है जिसने मिग -21 विमान को अबतक सेवानिवृत्त नहीं किया है जबकि इसे बनाने वाले रूस ने ही इसे 1985 में अपने बेड़े से हटा दिया… वहीं, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों ने भी इसे रिटायर कर दिया…1960 के दशक में भारतीय वायु सेना में शामिल हुए मिग विमानों ने 1990 के दशक के मध्य में अपना रिटायरमेंट पीरियड पूरा कर लिया है…इसके बावजूद भारत में इसे अपग्रेड किया जा रहा है….वहीं, हिंदुस्तान आज भी इसे अपनी रीढ़ की हड्डी बताते हुए उड़ाए जा रहा है…और अपने पायलटों की जान जोखिम में डाल कर…2025 में अभी पूरे 3 साल बाकी हैं…क्या जब तक हम और भी सैन्य पायलटों की जान को खतरे में डालते रहेंगे…और अगर हां तो ये हमारी बहुत बड़ी गलती होगी…क्योंकि इन हादसों के बाद उन परिवारों से कोई पूछे कि उनके दिल पर क्या बीत रही है…जिन्होंने अपने घर का अहम सदस्य को खोया दिया, उन दोस्तों व साथ करने वाले सहकर्मियों से कोई पूछे जो दिन रात साथ में उठते बैठते थे…खाते थे पीते थे…कि कैसे उनके दिमाग में यादों की वो सभी तस्वीरें अब शायद ही कभी धुंधली हो पाएं…इन हादसों को रोकने के लिए सरकार को तत्काल प्रभाव से मिग-21 लड़ाकू विमान को रिटायर कर देना चाहिए और म्यूजियम में रखवा देना चाहिए वरना हम आने वाले दिनों में ऐसे कई और हादसों पर सिर्फ़ अफ़सोस जता पाएंगे और कुछ नहीं।। (विनय रावत)